भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चलो मनियारपुर, बौंसी थाना मेँहीँ धाम / ब्रजेश दास

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

॥मनहर छन्द॥

चलो मनियारपुर, बौंसी थाना मेँहीँ धाम।
जहाँ में बिराजैं बाबा, शाही हो सजनवाँ॥
चारो ओर हरियाली, जंगल-पहाड़ दीखै।
तेहि बीच मेँहीँ धाम, सोभै हो सजनवाँ॥1॥
ध्यान-कक्ष बैठि करि, योग-ध्यान करैं लोगें।
नित दिन सतसंग, होवै हो सजनवाँ॥
मंच बैठि शाही बाबा, ज्ञान-उपदेश करैं।
सुनि-सुनि नर-नारी, रीझैं हो सजनवाँ॥2॥
अमरूद कटहल, आम आदि केरो गाछ।
मन मोहै लोगो केरो, नित हो सजनवाँ॥
सैनिटोरियम यह, मेँहीँ बाबा कहि गेलै।
गावत ‘ब्रजेश दास’, गुण हो सजनवाँ॥3॥