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चल रूपा बुराँस क फूल बणि जौंला / महेशानंद गौड़ 'चन्द्रा'

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चल रूपा बुराँस क , फूल बणि जौंला ,
छमछम हिट छींछाडियूँ को पाणी पेइ औंला ।।
चमचम चमचम हिमालै को चाँदी सी बरफ ,
झिलमिल झिलमिल झिलमिल छाया चौडांडियूँ तरफ,
हिलांस कि जोड़ी बणी , उड़ि उड़ि जौंला।
चल रूपा ......।

धरति क ओर छोर कन सजील -छबील
रंग -रंगीली काया द्याखो , फ्यूंळिक फूल पील,
बाँसुरी क स्वर सरगम मा गीत बणि जौंला।।
चल रूपा......।

घसियारियूँ क मन मा टीस, उदास उदास
प्यासी प्यासी आंख्यूं मा बस,प्यासी प्यासी प्यास,
ऊंठड़ियूं कि तीस बुझौला , आस बणि जौंला।।
चल रूपा.....।

छळछळ - छळछळ मन प्राणों की , छळकदी सि धार
कई जन्मों की प्रीत मेरी ,कई जन्मों को प्यार ,
अगास क बीच कखी , दूर छिपि जौंला।।
चल रूपा.....।