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चाहे कुछ भी हो / राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल

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लोग नितांत असंगत हैं
युक्ति और तर्क विहीन हैं,
स्वतः हैं वे आत्म केन्द्रित,
ल्ेकिन उनको प्यार करो,
चाहे कुछ भी हो।

यदि आप किसी का करें भला
तो भी लोग आपकी करें बुराई,
स्वार्थ भरा दुष्ट आरोप लगावें,
तो भी उनका भला करो,
चाहे कुछ भी हो।

यदि आप सफल होते हैं तो
आपके बनते ढे़रों मित्र बनावटी,
किन्तु दुश्मन बनते हैं सच्चे अर्थो में,
लेकिन सफल बनो,
चाहे कुछ भी हो।

आप आज जो करते हैं अच्छा काम
उसे कल ही
भूल जाते हैं लोग
ल्ेकिन अच्छा काम करो
चाहे कुछ भी हो।

ईमानदारी और निर्भयता
गुण होते हैं अच्छे,
 परन्तु इस कारण आप
बनते हैं लोगों के दुश्मन,
लेकिन ईमानदार और निर्भय बनो,
चाहे कुछ भी हो।

लोग प्रगट पक्ष करते हैं
शोषित जन का,
किन्तु साथ देते हैं
सदैव शोषकों का,
लेकिन संघर्ष करें
शोषितों के हित में,
चाहे कुछ भी हो।

जो आपने तिलतिल कर
वर्षों में निर्माण किया है,
वह क्षण भर में हो जायेगा ध्वस्त
लेकिन उनकी मदद करो,
चाहे कुछ भी हो।


लोग चाहतें हैं आप उनकी करो सहायता,
परन्तु देखना
अवसर मिलते ही वे आघात करेंगे,
लेकिन उनकी मदद करो,
चाहे कुछ भी हो।

जो सर्वोत्कृष्ट आपका है,
वो सदा विश्व को देते रहिये
और आप देखेंगे कि दुनिया
आपको दर-दर ठुकरायेगी,
लेकिन विश्व को सर्वोत्कृष्ट दो,
चाहे कुछ भी हो।