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चिहुँकी उठै ना / ब्रह्मदेव कुमार

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बारी रे उमरिया धनी, सूनी रे सेजरिया
चिहुँकी उठै ना।
देखी पिया के सपनमां, चिहुँकी उठै ना॥

दिनमां जे कटै रामा, सूनी-सूनी अखिया
आंग नहीं लागै, घुरी-घुरी ताकै बटिया
टप-टप टपकै जे, मुँह के उदसिया
छलकी उठै ना।
अँखिया संझिया के बेरिया, छलकी उठै ना॥

सोलहो सिंगार करी, भरै जबेॅ मंगिया
निहारी-निहारी ऐना, लजाबै जे गोरिया
सोची-सोची मनमां मेॅ, पिया जी के रूपवा
कसकी उठै ना।
हूक उठै जे करेजबा, कसकी उठै ना॥

चाँदनी रतिया, झक-झक इंजोरिया
झरोखा सेॅ झाँकै झर-झर झाँकै जे नजरिया
अँखिया के कोरबा सेॅ, लरजै जे लोरबा
झमकी उठै ना।
गोरिया हाथ के कंगनमा, झनकी उठै ना॥

झुमका झुलाबै रामा, हरबा दुलरावै
नाक के नथुनियाँ जे, होठवा लगावै
मुस्कै लिलरबा पे, रही-रही टीकवा
सिसकी उठै ना।

गोरिया गोड़ोॅ के पैंजनियाँ, सिसकी उठै ना॥
सहलाबै गलबा, उड़ी-उड़ी केशवा
रही-रही बही पवनमां, बोलाबै जे निंदिया
अनचोके पिया आबी, धरै जे कमरिया
चमकी उठै ना।
देखी पिया जी केॅ समनां चमकी उठै ना
देखी पिया के सपनमां, चिहुँकी उठै ना॥