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चूहे / मुकेश प्रत्यूष

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1.
मैं चूहे मारना नहीं चाहता
किन्तु
बढ़ गए हैं इन दिनों चूहों के उत्पात बहुत ज्यादा
-मेरे घर में

कोशिश में लगा है - हर छोटा-बड़ा चूहा
उठा कर ले जाने को मेरा र्स्वस्व - मेरी उपस्थिति में
और, जिसे ले जा पाना हो नामुमकिन
या जो लगे गैर-उपयोगी
उसे गिरा दे, कुतर दे, या उस पर पेशाब कर दे


सोचता हूं :
व्यर्थ है
अब इस उम्मीद में और समय खोना
कि एक दिन सुधर जायेंगे ये चूहे
या चले जायेंगे कहीं और

सुबह उठते ही
चला जाउं बाजार
खरीद लाउं - चूहे मारने की दवा
छोटी-छोटी गोलियां बनाउं
और रख हूं उनके आने-जाने के रास्तों पर
भले ही शाम को एक रोटी कम खानी पड़े मुझे

2.
मेरे लगाये जाल में
-फंस गये चूहे

फंसे;
आदतन या भूख के कारण
- मैं नहीं जानता

किन्तु, फंसे हुए चूहे लगे
-और भी मासूम
-और भी निरीह
रोटी का टुकड़ा ज्यों-का-त्यों छोड़
-घड़ियां गिनते
-हर आहट पर चौंकते

और, इसीलिए
बोरे में डालकर; पटक-पटक कर
मैं उन्हें मार नहीं सका
गली के कुत्तों के आगे भी डाल नहीं सका
छोड़ आया - घर से दूर
कूडे की ढेर पर

सोचता हूं -
कहीं लौट तो नहीं आयेंगे, वे चूहे
फिर मेरे ही घर में