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छूट गया घर तब जाना घर क्या होता है / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
छूट गया घर तब जाना घर क्या होता है
कोरोना ने दिखलाया डर क्या होता है
सारे सपने मेरे भी हो जाते पूरे
चूक गया तब जाना अवसर क्या होता है
बचपन में मैंने भी मूरत पूजा की है
ठोकर खाकर जाना पत्थर क्या होता है
ठेकेदारों और कहीं जाओ तो अच्छा
मुझको है मालूम कि ईश्वर क्या होता है
भटक गया मंज़िल से तब एहसास हुआ
राह दिखाने वाला रहबर क्या होता है
आप नहीं समझेंगे भीतर की ज्वाला को
आग न बुझ पाये तो रोकर क्या होता है
साथ रहा वो जब तक उसकी कद्र नहीं की
बिछड़ गया तो समझा दिलबर क्या होता है
जिनके खेतों में उगती है सिर्फ़ निराशा
उनसे जाकर पूछो बंजर क्या होता है