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छैल जो छबीला सब रंग रंगीला बढ़ा / ताज

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छैल जो छबीला सब रंग रंगीला बढ़ा,
चित्त का अड़ीला सब देवतों से न्यारा है।
काल गले सोहै, नाक मोती सेत सोहै कान,
मोहै मन कुंडल मुकुट सीस धारा है॥
दुष्ट जम मारे, संत जन रखवारे 'नाज' ,
चित्त हित वारे प्रेम प्रीतिकर वारा है।
नन्द जू को प्यारा जिन कंस को पछारा,
वह वृन्दावनवारा कृष्ण साहेब हमारा है॥