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जतन क्या कहें / पीयूष शर्मा

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जो प्रणय में किए वह जतन क्या कहें
भाग्य में ही लिऽी है तपन क्या कहें
तुम स्वयं प्रेम का इक महाकाव्य हो
हम तुम्हारे लिए अब कथन क्या कहें