भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जय भारत / जनार्दन राय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जय, जय भारत, तेरी जय, जय,
जय, जय भारत माँ हे।

सुत तेरे हम हैं सभी खड़े,
सब तेरा मंगल चाह रहे,
तेरे चरणों पर शीष चढ़ाने,
तेरा आशीष माँग रहे।
जय, जय, भारत माँ हे॥

हम देश-भक्ति के भूखे हैं,
कल्याण देश का चाह रहे।
जीवन की बलि दे-दे कर
हम तेरा गौरव माँग रहे।
जय, जय, भारत माँ हे॥

जो वीर काम तेरे आये,
हम ज्योति उसी से माँग रहे।
सरदार भगत, राणा प्रताप के
पथ पर चलना चाह रहे।
जय, जय, भारत माँ हे॥

स्वाधीन देश के हम बालक,
स्वाधीन रहे यह ध्यान रहे।
मर्दन कर दें माँ के रिपु का,
केवल इतना अरमान रहे।
जय, जय, भारत माँ हे॥
जय, जय भारत तेरी जय, जय,
जय, जय, भारत माँ हे॥

-दिघवारा,
2.11.1954 ई.