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ज़माना हमको ख़ुद से भी किसी दिन दूर कर देगा / शुचि 'भवि'

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ज़माना हमको ख़ुद से भी किसी दिन दूर कर देगा
सँभालें ख़ुद को हम कैसे हमें मग़रूर कर देगा

तुम्हारे पास दिल है देख लो शीशा नहीं कोई
तो मामूली सा इक पत्थर इसे क्या चूर कर देगा

जो फ़न से दूर लेकिन ग़ैर के रहमोकरम पर हैं
उन्हें भी देख लेना कल कोई मशहूर कर देगा

वो शायर है नशा तुम से ज़ियादा रख के चलता है
अरे साकी ज़रा सम्हलो तुम्हें मख़मूर कर देगा

जो 'भवि' ये चाहती है हो भलाई सारी दुनिया की
उसे चाहेगा तू भी दिल तेरा मजबूर कर देगा