भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ज़ुर्म जो करते हैं उनकी ये हिमाकत देखें / गिरधारी सिंह गहलोत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ज़ुर्म जो करते हैं उनकी ये हिमाकत देखें।
दे रहे हमको भी वो लोग नसीहत देखें।

आज क़ानून अमीरों का खिलौना है बना
कब तलक रहती है लाचार अदालत देखें।

है अज़ब दौर करें आज यक़ीं तो किस पर
हो रहा धोखा वहीँ जिससे हो क़ुरबत देखें।
 
बोलबाला ही दिखे सिर्फ यहाँ नफ़रत का
दौरे-हाजिर में कहाँ लोग मुहब्बत देखें।

ढा रही ज़ुल्म जो इंसान पे क़ुदरत कब से
मेरे अल्लाह मिले कब तेरी रहमत देखें।

उनसे उम्मीद लगाना नहीं मुमकिन कोई
नेक कामों में भी जो लोग सियासत देखें।

दौर ऐसा है कि तैयार सभी बिकने को
आप में दम है लगाकर जरा क़ीमत देखें।

भागता सुब्ह के आगाज से शब ढलने तक
ये अज़ीयत भरी इंसान की हरकत देखें।

रंग से हुश्न 'तुरंत' आज परखते तो गलत
देखना हो तो सदा दिल की सबाहत देखें।