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जी रही थी मैं / बेल्ला अख़्मअदूलिना / वरयाम सिंह

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जी रही थी मैं अमिट कलंक में
फिर भी मन मेरा निर्मल रहा
एक महासागर था और वह मैं थी
और कोई नहीं

ओ तुम डरे हुए
शायद ही स्वयं तैर पाते तुम
यह तो मैं कोमल सुकुमार लहर की तरह
तुमको निकाल ले आई किनारे तक

दया कर बैठी हूँ मैं अपने साथ
कैसे भूल गई मैं विपत्ति के उन क्षणों में
नीली मछली बन सकते थे
मेरे बैंजनी जल में तुम

मेरे साथ सिसकते
विलाप कर रहे हैं समुद्र
ओ मेरे अभागे शिशु !
क्षमा करना मुझे तुम ।

मूल रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह

लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी में पढ़िए
          Белла Ахмадулина
      Жила в позоре окаянном…

Жила в позоре окаянном,
а все ж душа — белым-бела,
и если кто-то океаном
и был — то это я была.

О, мой купальщик боязливый,
ты б сам не выплыл — это я
волною нежной и брезгливой
на берег вынесла тебя.

Что я наделала с тобою!
Как позабыла в той беде,
что стал ты рыбой голубою,
взлелеянной в моей воде!

И повторяют вслед за мною,
и причитают все моря:
о ты, дитя мое родное,
о бедное, прости меня!

1960 г.