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जुटीं जब महफिलें तेरा भी तो चर्चा हुआ होगा / रंजना वर्मा

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जुटीं जब महफिलें तेरा भी तो चर्चा हुआ होगा।
हरिक बरसात में दामन मेरा भीगा हुआ होगा॥

उठे बादल क्षितिज के छोर से तो तीरगी लाये
घना होगा अँधेरा दिल बहुत सहमा हुआ होगा॥

छुपाता फिर रहा मुँह जो किसी वीरान खंडहर में
वो शायद ज़िन्दगी की राह में तन्हा हुआ होगा॥

लिया होगा कभी उल्फ़त से उसने नाम जब मेरा
लबों का रंग उसके और भी गहरा हुआ होगा॥

जिगर का खून लेकर जब रचाई हाथ पर मेंहदी
मेरे दिल का हरिक टुकड़ा तेरा बूटा हुआ होगा॥