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जुनूँ ख़ुद-नुमा ख़ुद-नगर भी नहीं / ग़ुलाम रब्बानी 'ताबाँ'

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 जुनूँ ख़ुद-नुमा ख़ुद-नगर भी नहीं
 ख़िरद की तरह कम-नज़र भी नहीं

 किसी राह-ज़न का ख़तर भी नहीं
 के दामन में गर्द-ए-सफ़र भी नहीं

 ग़म-ए-ज़िंदगी इक मुसलसल अज़ाब
 ग़म-ए-ज़िंदगी से मुफ़िर भी नहीं

 नज़र मोतबर है ख़बर मोतबर
 मगर इस क़दर मोतबर भी नहीं