भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जून लैकि तेरी बिन्दुली मा सजै द्यूलु / धर्मेन्द्र नेगी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जून लैकि तेरी बिन्दुली मा सजै द्यूलु
समोदर तैं तेरी हथगुळी मा समैं द्यूलु

सब्बि गैणौं तैं धरती मा लैकि हे सुवा
बणै जंजीर तेरी नथुली मा गंठै द्यूंलु

द्वी नयारौं तैं लटुल्यूं का दगड़ बोटी की
फून्दा बणै तेरी धमेळी मा लटकै द्यूंलु

हैरा बुग्याळों तैं तेरी गातै चदरि बणौंलु
सौदा फूल तेरी खंडेळी मा गंछै द्यूंलु

अछ्यणम मूण तेरा खातिर धरीं 'धरम' न
तु बोलदी त पाण थमेळी मा लगै द्यूंलु।