भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जोगवा बेसाहन चलल मोर भइया रे टोनमा / मगही

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जोगवा<ref>योग, टोन-टोटका</ref> बेसाहन<ref>खरीदने के लिए</ref> चलल मोर भइया रे टोनमा।
भइया चलले सँगे साथ रे टोनमा॥1॥
घुरि फिरि<ref>मुँह पीछे घुमाकर</ref> देखथिन बेटी दुलरइतिन बेटी रे टोनमा।
अँखियन से ढरे लोर<ref>अश्रु</ref> रे टोनमा॥2॥
आगे आगे अवथिन<ref>आते हैं</ref> भइया दुलरुआ भइया रे टोनमा।
पाछे पाछे भउजी<ref>भाभी</ref> चली आवे रे टोनमा॥3॥
भउजी के हाथ में सोने के सिंघोरबा<ref>सिन्दूरदान, सिन्धोरा</ref> रे टोनमा।
भइया हाथे तरवार रे टोनमा॥4॥

शब्दार्थ
<references/>