भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जो रख लोगे दिल की दिल में / पुरुषोत्तम प्रतीक

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जो रख लोगे दिल की दिल में
उलझोगे ज़्यादा मुश्किल में

तूफ़ानों में ज्यों का त्यों है
कितना धीरज है साहिल में

आप मरे, सबको मरवा दे
ये जीदारी है बुज़दिल में

रस्ते चक्कर काट रहे हैं
कुछ तो दम होगा मंज़िल में

क़त्ल हमारा ही होना है
मक़तल में हो या महफ़िल में