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झील / बबली गुज्जर

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मैं जब भी माँ की गोद से उतरकर
बाबा के काँधे पर झूल,
उनकी गर्दन से लिपट जाती
माँ कहती 'पानी तो झील में ही जाकर थमेगा'
और उठकर रसोई में चली जाती

मैं और बाबा देर तक हँसते..
बाबा के बाद मेरी वह झील तुम बने!