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तुम्हारे आने से पहले एक ख़त / नागराज मंजुले / टीकम शेखावत

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छत्रपति शिवाजी पुल तक ही
तुम्हारी फ़ोर व्हीलर आ सकेगी!

आगे की ओर झोपड़पट्टी तक
अब भी एक संकरी पगडण्डी ही
सीध में
कूड़े के ढेर से निकलकर आगे की ओर आती है।

पुल पर से देखोगी तब
नगर निगम के सार्वजनिक शौचालय के समीप
जिन जर्जर टीन-पतरों का धड़ पीछे समा गया है
वैसे बौने से मकान
ख़ाली माचिस के गुबार समान नज़र आएँगे।

तुम्हें मन और सन्तुलन दोनों सम्भालकर
आगे की ओर आना होगा।
आगे आओगी तब मिलेंगे
चिंघाड़ते स्पीकर
शराब के ठेके पर उलझे सम्वाद
और
तिकड़मबाजों, मियाँ-बीवी के रोज़ वाले विवाद!

कुछ एक ग़ालियाँ भी तुम्हारे कानों में आएँगी...शायद
शरम मत करना!
फटेहाल कुछ छोटे बच्चे
तुम्हें कुतूहल से देखेंगे!
वो बच्चे जिनके रास्ते खो गए हैं
उन्हीं से मेरे घर का रास्ता पूछ लेना!

तुम्हारे परफ्यूम की ख़ुशबू से चाल महक जाएगी
उन बच्चो के पीछे तुम जिस रास्ते से आओगी
सम्भवतः उस रास्ते पर पीछे से लोग इकट्ठे हो जाएँगे
घबराना मत!

जब तुम बड़ा-सा गटर पार कर लोगी
तब दिखेगा
स्वप्नपुर्ती बिल्डर्स के विशालकाय होर्डिंग्
के खम्बों के सहारे
टिका मेरा घर।

आओगी मेरे दस बाय दस के घर में
तब
मेरी भोली-भाली माँ करेगी
अपनी हैसियत से तुम्हारा स्वागत !

रहूँगा बनियान-तौलिये में मैं
जलता-बूझता हमारा चूल्हा
और स्याह काली चाय
आल इन वन-घर हमारा!

...यह सब
आँखों में देखकर तुम्हारे
कि तुम्हें आ रही है घिन
विवश हो जाऊँगा मैं
घृणा करने को ख़ुद से ही.....

तुम्हें मुझसे बेहद प्रेम है
तुम्हारे ‘डेड’ मुझे नया नवेला भविष्य भी ख़रीद के दे ही देंगे
ठीक हैं
परन्तु....
मैं ख़ुद से घृणा करने लगूँ
इतनी मेहरबानी मत करना मुझ पर !

हो सके
तो मत आना मेरे ग़रीबख़ाने पर....
तुमने जो सपने देखे हैं
वे इस ज़मीन पर पनप नहीं पाएँगे...
और बोन्साय हो जाना मुझे स्वीकार नहीं!

ले जाओ तुम
अपने सपनों के बीज!
खोज लो एक नई उर्वर ज़मीन
मेरी यह बंजर ज़मीन
कभी न कभी गर्भवती होगी ही

यहाँ भी फूल खिलेंगे
सपने पूरे होंगे....
किन्तु तब तक
मुझे अपने सपनों को खाद और पानी देना होगा
मुझे उसी में जुट जाना होगा
मेरे अपने नेस्तानाबूद लोगों की ख़ातिर.....

मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत