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तुम्हारे और मेरे बीच / अनुलता राज नायर

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तुम्हारे और मेरे बीच अगर कुछ होगा
तो वो सिर्फ प्रेम होगा

हमारी हथेलियों पर
हर पल अंकुरित होता प्रेम
स्पर्श की ऊष्मा से...

और हमारे इर्द गिर्द फ़ैली होंगी
बेचैनियाँ,
हमें एक दूसरे की ओर धकेलती हुई!

किसी और को
करीब आने की नहीं होगी इजाज़त
बस एक दो जुगनू और कुछ तितलियाँ
सच मानो
बड़ी ज़िद्द की है उन्होंने...

हाँ! एक महीन अदृश्य पर्दा होगा
तुम्हारे और मेरे बीच,
कि छिपे रहें मेरे गम
कि तुम्हारी खुशियों को नज़र न लगे उनकी|

तो फिर ये तय हुआ कि
हमारे बीच अगर कुछ होगा
तो वो सिर्फ प्रेम होगा
या होगा एक पागलपन
या फिर दर्द
प्रेम के न होने का!
(तुमने क्या तय किया कहो न??)