भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुम आओ / हरकीरत हकीर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम आओ
कि तुम्हारे बिना
बिखरे हुए हैं
मेरे क़दमों के राह …

तुम आओ …
कि तेरे बिना
बाँहों में टूट रही है
मेरी सांस ….

तुम आओ …
इक बार लिख जाओ
मेरी कलम से
मुहब्बत का गीत …

मैं इश्क़ की आग में
हाथ डाल लूँगी …. !!