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तू कृष्ण ही ठहरा तो सुदामा का भी कुछ कर / राजेंद्र नाथ 'रहबर'

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तू कृष्ण ही ठहरा तो सुदामा का भी कुछ कर
काम आते हैं मुश्किल में फ़क़त यार पुराने

फाकों पे जब आ जाता है फ़नकार हमारा
बेच आता है बाजार में अखबार पुराने

देखा जो उन्हें एक सदी बाद तो 'रहबर '
छालों की तरह फूट पड़े प्यार पुराने