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तेज़ धूप है तुम करते हो हमसे मधुमासों की बात / विनोद तिवारी

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तेज़ धूप है तुम करते हो हमसे मधुमासों की बात
सोचो किसको भली लगेगी मिथ्या विश्वासों की बात

पपड़ा जाते होंट कण्ठ में काँटे-से चुभने लगते हैं
फ़्रिज का मालिक क्या समझेगा हम पीड़ित प्यासों की बात

अपनी तो छोटी से छोटी इच्छा भी आकाश- कुसुम है
और तुम्हे आकाश-कुसुम भी लाना परिहासों की बात

कुछ को शीत लहर ले बैठी कुछ को लू ने लील लिया है
मेरे घर वाले डरते हैं करते चौमासों की बात

हम लोगों को कथा सुनाकर झाँसी वाली रानी की
जनसेवक कहलाने वाले करते हैं झांसों की बात