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तेरा मिलना है मिलना ख़ुशी का / विजय 'अरुण'

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तेरा मिलना है मिलना ख़ुशी का
और मक़सद भी क्या ज़िन्दगी का।

जिस ने बरसों मुझे ताज़गी दी
वो था झोंका तिरे हुस्न ही का।

ले पहन ले लिबास-ए-मुहब्बत
छोड़ चोला निरी दोस्ती का।

तेरा चन्दन का टीका पुजारन
तेरे माथे पै चंदा का टीका।

मैं ये समझा बजी तेरी पायल
क्या छनाका था तेरी हंसी का।

ऐ 'अरुण' जब भी वह सामने हों
शग़्ल चलता रहे दिलकशी का।