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तेरी हर बात लिख रहा हूँ मैं / चंदन द्विवेदी

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सुखन की रात लिख रहा हूँ मैं
भीने जज्बात लिख रहा हूँ मैं
तेरी चुप्पी कहीं पागल न कर दे
तेरी हर बात लिख रहा हूँ मैं

मैं शायर-सा हूँ जबकि तू-तू है
तेरी सांसों से जबतक गुफ्तगू है
तेरी तस्वीर सामने रखकर
तेरे जज्बात लिख रहा हूँ मैं
तेरी हर बात लिख रहा हूँ मैं

समंदर भी, नदी भी है अकेले
अधूरे ख्वाब औऱ यादों के मेले
कलम हाथों में है उम्मीद तबतक
मिलन की रात लिख रहा हूँ मैं
तेरी हर बात लिख रहा हूँ मैं

मोहब्बत से तेरा कैसा है नाता
सुना है एक है कोई विधाता
बड़ी बेचैन हैं सांसें मेरी तब
आज की रात लिख रहा हूँ मैं
तेरी हर बात लिख रहा हूँ मैं

हमारे दिल में थी केसर की क्यारी
हाय कश्मीर-सी किस्मत हमारी
टहनियाँ याद की टूटी पड़ी हैं
तेरी शह मात लिख रहा हूँ मैं
तेरी हर बात लिख रहा हूँ मैं

शहनाई की बेला आ रही है
मेरी कविता तूझे सहला रही है
तेरा सूरज जलेगा बनके चंदा
चांदनी रात लिख रहा हूँ मैं
तेरी हर बात लिख रहा हूँ मैं