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तैहा खेत जा / देवनारायण शर्मा

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खेती किसानी तोर करम ये तोर नसीव ये बेटा
चल धार ले नांगर रे, तैहा खेत जा।

झगरा के बंजर भुइंया में, सुनता के धान उगावे।
रास्ता के कांटा ला वीन के, मया के फूल लगावे॥
तै माया के बादर रे, तैहा खेत जा।

दुनिया के सेवा करवे तै, देश के लाज बचवे।
खून पसीना तैहा बोल के, सब ला अन्न खवावे ॥
तोर हिरदे सागर रे, तैहा खेत जा।

दुनिया हा मुंह जोहत हे, धार ले नांगर तुतारी।
सोना जइसे धा लगा ले, तै भुइंया के पुजारी॥
नई थकय ये जांगर रे, तैहा खेत जा।