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थाम के गीत / 1 / राजस्थानी

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म्हारे आंगण जावंतरी रो रूख सजनारे आंगण एलची जी।
पसरियो रे जावतरी रो रूख महकण लागी एलची जी।
बैठा म्हारा पिवजी राय गलीचो ढाल तो समधी से खेलस्यां जी।
रमियां रमियां सारी रात कुण हार्या कुण जीतिया जी।
हार्या हार्या राय बनी रा बाप, म्हारा पिवजी कोटण ब्याई जीतिया जी।
कंवले उभी राय बनी की मांय म्हारा पिवजी।
उभी दे छ ओलमा जी हर हस्त्यां मइला हस्ती क्यों नहीं हारिया जी।
म्हारा पिवजी राज कंवर क्यों हारिया जी।
म्हारा डब्बा मांयला गहणा क्यों नहीं हारिया जी।
म्हारा बक्सा मांयला कपड़ा क्यों नहीं हारिया जी।
म्हारा पिवजी लाड कंवर क्यों हारिया जी।
घुड़ला मांयली तेजण क्यों नहीं हारिया जी।
म्हारा पिवजी लाड कंवर क्यों हारिया जी।
मोत्यां बिचली लाल म्हारा पिवजी दूध पाय मोटी करी जी।
पायो पायो भैसडल्यां रो दूध म्हारा पिवजी मांय पतासा घोलिया जी।
गेली गोरी असल गंवार ओ जग यूं ही हारियो जी।
पहली हारिया थारोड़ा बाप म्हारी गौरी पछे म्हे तो हारियाजी।
पहली हारिया... सा रा बीर पाछे म्हे भी हारिया जी।