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दर्द से रिश्ता / नमन दत्त

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दर्द से रिश्ता, ग़म से नाता, इश्क़ में ये अंजाम हुआ।
आप से दिल का लगाना क्या था, दिल का काम तमाम हुआ।

दूर तलक वीरान हैं राहें, सफ़र रहा तन्हा मेरा
जो गुज़रा इक दर्द दे गया, जीने का इन्आम हुआ।

पोशीदा जब तक दिल में था, वह केवल मेरा ही था-
इश्क़ का आँसू आँख से टपका, राज़ जहाँ में आम हुआ।