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दर्द / असंगघोष

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दरख्तों की मानिन्द
देखता रहा मैं
वहशी दरिन्दों के हाथों
अपनी ही छाया में
किसी बेबस अबला को लुटते
इच्छाशक्ति के अभाव में
कुछ भी नहीं कर पाया मैं
और जख्म खाए दरख्त की तरह
केवल अपना ही दर्द सहता रहा।