भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दीवाली / अमरेन्द्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

फेनु दीवाली ऐलोॅ छै
माय नें घोॅर सजैलोॅ छै

जगमग-जगमग दीया छै
जेना मणि के कीया छै

घुर-घुर-घुर-घुरघुरिया छै
छुर-छुर-छुर-छुरछुरिया छै

पड़-पड़-पड़-पड़ फटाक-फटाक
छुटै पड़ाका झटाक-झटाक

लुक्का-पाती बड़का लेॅ
टिकरी-मिट्ठोॅ लड़का लेॅ

बाहर भेलै दलिद्दर आय
भीतर ढुकलै लक्ष्मी माय

सौंसे दुनियाँ झक-झक-झक
उलुवाँ देखै टक-टक-टक

डर्है अन्हार नुकैलोॅ छै
फेनु दीवाली ऐलोॅ छै ।