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दुःखालय अनित्य दारुण इस मर्त्यलोक के / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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(राग वागेश्वरी-ताल कहरवा)
 
दुःखालय अनित्य दारुण इस मर्त्यलोकके सब सुख-भोग।
लगते मधुर, भरे विष भारी नरक-दुःख-परिणामी रोग॥
मनसे तुरत निकालो इनको, भजो हृदयसे श्रीभगवान।
विश्व-चराचरमें नित देखो मधुर उन्हींका रूप महान॥
सेवारूप करो केवल तन-मनसे सब उनके ही काम।
प्राप्त करो बैकुञ्ठ, परम दुर्लभ हरिका मंगलमय धाम॥