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दुनिया से मुंह मोड़ क चलली / हम्मर लेहू तोहर देह / भावना

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दुनिया से मुंह मोड़ क चलली।
अप्पन-पराया छोड़ क चलली॥

किसमत के सब लीला देखली।
तब ई बन्हन तोड़ क चलली॥

तन-मन हम्मर घावो से भरल।
टूटल मन के जोड़ क चलली॥

छितराएल सपना के समेटइत।
खींचइत सांस के डोर क चलली॥

जेकरा जे मन में हए बोललक।
रिस्ता-नाता तोड़ क चलली॥