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देखा नहीं देखे हुए मंज़र के सिवा कुछ / निश्तर ख़ानक़ाही

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देखा नहीं देखे हुए मंज़र के सिवा कुछ
हासिल न हुआ सैरे-मुकर्रर* के सिवा कुछ

किस हाल में उस शोख़ से वाबस्ता हुआ दिल
सौगात में देने को नहीं सर के सिवा कुछ

क्यों गर्द-सी उड़ती है ये हर लम्हा रगों में
क्या जिस्म के अंदर नहीं सरसर* के सिवा कुछ

फूलों से बदन डूबते देखे गए हर बार
इस बहर* में तैरा नहीं पत्थर के सिवा कुछ

करते भी तलब क्या कि यहाँ दस्ते अता* में
देने को न था जिन्से-मयस्सर* के सिवा कुछ

1. सैरे-मुकर्रर*--एक ही स्थान पर दुबारा

2. उपहार-जमी हुई ठंढ

3. सरसर-आँधी

4. बहर-सागर

5. दस्ते अता-दया का हाथ

6. जिन्से-मयस्सर-पहले से प्राप्त वस्तु