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दोहा / बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा ‘बिन्दु’

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दो बेटों के बीच में, बीबी की तकरार
माँ बेचारी देख कर, रह जाती लाचार।
भाई – भाई में कलह, दुश्मन से भी तेज
कभी मारते जान से, रखे कभी परहेज।
भाई लक्ष्मण सा यहाँ, दिखता अब है कौन
गुस्सा होकर भी रहा, राम चरण में गौन।
रिश्तों में रखना नहीं, छुपा छुपाकर भेद
वो रिश्ता रिसता रहे, जो हो उनमें छेद।
भाई – भाई में अगर, रहता दिल में प्यार
रिश्तों के इस बीच में , जाती दुनिया हार।