भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धन-धन बीर बेटा, गढ देस कु मान / ओम बधानी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

न-धन बीर बेटा, गढ देस कु मान
जीवन अछाणा धरी बाटु हमुक खणी
ज्यूंदु रलु बलिदान

राजसै म थई जन्ता त्रास म भारी
पौण टोंटी बरा बेगार कि मारीं
बमुण्ड जौंळ गौं,जलमि वीर सुमन
ललकारी रज्जा,गद्दी हलकाइ जैन
बाबा बैध हरिराम बडोनी तुमरू नौ अमर रान

गद्दी जांद देखि राजा चिन्ता म पड़ी
बन्द कर्याली सुमन टीरि जेल म ग्वाड़ि
अन्नपाणि त्यागी , अत्यचार बड़िग्या
हंसदु रै तु भड़, दैब क आंसु एैग्या
तेरि जयकार माता तारा देवी भग्यान

चार बिसि चार दिन ब्रत अटल नि टुटि
काया टुटिगे पर,हिकमत नी झुकी
असाड़ काळी रात,बुलौ दैब कु आई
पाप्यों न लपेटि कांबळा पर, ल्हास भिलंगणा बगाई
गढ माता तैं दान, कर्याली ज्यू ज्यान

बणाग सि बात चैदिसौं फैलिगे
चेतिग्या टीरि क रैबासि आंदोलन जुड़िगे
धध्यैलि राजा टीरि मुक्त ह्वैगे
रात खुलिगे नई बयार एैगे
पूरा ह्वैग्या सुपन्या,सफल ह्वैगे बलिदान