भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धाय के जाय जो श्री यमुना तीरे / छीतस्वामी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

धाय के जाय जो श्री यमुना तीरे ।
ताकी महिमा अब कहां लग वरनिये, जाय परसत अंग प्रेम नीरे ॥१॥
निश दिना केलि करत मनमोहन, पिया संग भक्तन की हे जु भीरे ।
छीतस्वामी गिरिधरन श्री विट्ठल, इन बिना नेंक नहिं धरत धीरे ॥२॥