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धार्मिक उन्माद का खौफ / अरविन्द यादव

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धर्म का झंडा लेकर चलने वालो
भूल गए अयोध्या, गुजरात, पंजाब
सब के सब लहूलुहान हैं
धार्मिक उन्माद के ख़ौफ़ से
आज भी अंकित हैं जिसके धब्बे
इतिहास के सीने पर

आज भी सुनाई देती है कानों को
सरेआम लुटती अस्मिता कि चीखें

आज भी तैरती हैं आँखों के सामने
हाथ-पैर कटी अधजली लाशे
बदहवास दौड़ते
चीखते-चिल्लाते लोग

आज भी दिखाई देता है
वह बहता हुआ रक्त
जो न मुसलमान था न हिंदू
न सिक्ख न ईसाई
देखने से, सूंघने से

आज भी उतर आते हैं जहन में
बेक़सूर, मासूम, दुधमुहें वच्चे
जिनके लिए दुनियाँ सिर्फ़ और सिर्फ
थी एक खिलौना

आज भी दिखाई देते हैं
असंख्य उन्मादी चेहरे
हवा में लहराते त्रिशूल और तलवार
आज भी खौफजदा दिखती हैं वह खिड़कियाँ
जिनने देखा था वह वीभत्स मंजर

आज भी सहमी सीं लगती हैं वह गलियाँ
सहमे से लगते हैं वह चौराहे
जो रक्त रंजित हुए थे
जयघोष से

अगर फिर हुई पुनरावृति
तो निश्चय ही खंडित होगी
देश की एकता, अखंडता।