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नंगों से दुनियाँ डरती है / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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सुबह-सुबह से चड्डी उठकर,
बोली मुझको पहनो।
जाग हो गई सूरज आया,
अब नंगे न घूमो।

पापाजी ने लुंगी पहनी,
पहन लिया है कुरता।
कुरता लुंगी के कारण ही,
घर भर उनसे डरता।

दादीजी ने दादाजी को,
नया लुअर पहनाया।
इसी लुअर में मजे-मजे में,
बड़ा पार्क घुमवाया।

मुन्ना बोला मुझको तो बस,
नंगा रहना आता।
नंगों से दुनियाँ डरती है,
जन गण यही बताता।