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नागिन बरसात-आबोॅ नीं फुरती सें / कस्तूरी झा 'कोकिल'

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आबोॅ नीं फुरती सें
हमरी प्रियां
मिलै लेॅ फाटै छै,
हमरोॅ हिया।
बोलैला पर आबै रहौ
झटकी केॅ पास।
बाँहीं में लागै छेलै,
कत्ते हुलास।
आबेॅ कहाँ सुनै छौ?
तोहं हमरऽ हाँक?
गरऽ बझी जाय छै,
करेजऽ दू फाँक।
उठी-उठी बैठे छीहौं,
तोरे याद लिखै छीहौं।
केकरा सुनैबै हे!
तोरैह नैं पाबै छीहौं।
पागल नाँकी बीतै छै,
हमरऽ दिन रात।
ऊपरऽ सें फुफकारै छै,
नागिन बरसात।