भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नेहरू चाचा के मुख से / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बच्चों तुमने मुझे बुलाया,
जन्म दिवस है आज मनाया।

आसमान से आया हूँ मैं,
चाँद सितारे लाया हूँ मैं।

तुम भारत की शान हो,
बाल दिवस की जान हो।

नन्हें नन्हें बच्चे हो,
सब ही कितने अच्छे हो।

तुम जीवन की आशा हो,
भोलेपन, की आशा हो।

"जन-गण-मन" मैं गाता हूँ,
आज अभी मैं जाता हूँ।

फूलों-सा तुम मुसकाना,
मधुर गंध भी बिखराना।

एक वर्ष में आऊँगा,
हंसता तुमको पाऊँगा।