भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नौकरी / भारत भारद्वाज

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बॉस ने कहा  :
सोचना तुम्हारा काम नहीं
हम हैं सोचने के लिए

बॉस ने कहा  :
देखना तुम्हारा काम नहीं
हम हैं देखने के लिए

बॉस ने कहा  :
तुम जो सोचते हो
वह सही नहीं है
आख़िर मेरा भी तो अनुभव है
क्या ठीक है, क्या ग़लत है ?
किसमें सरकार का फ़ायदा है,
किसमें नुक़सान है

हम सरकार हैं,
हम निर्णय करेंगे
क्या सही है, क्या ग़लत है ।