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न आया वह / केदारनाथ अग्रवाल

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न आया वह

जिसे आना था मेरे पास

फूल का गुलदस्ता भेंट के लिए

खोल दिया था जिसके अस्तित्व के लिए
मैंने अपना अस्तित्व