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पंथ प्यारे मिले / प्रेमलता त्रिपाठी

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प्रीत आधार हो पंथ प्यारे मिले।
रंग देती हिना बिन सँवारे मिले।

गाँव बसते रहे प्रीत खोती रही,
द्वेष मन के मिटा मीत न्यारे मिले।

दर्प आनंद खोता रहेगा सदा,
धूप में छाँव तरु के सहारे मिले।

श्वांस अनुबंधनों को नहीं मानती,
एक दिन पंच ये तत्व सारे मिले।

डोर जीवन सधे प्रेम में डूबकर,
हर विधा साधिए स्नेह वारे मिले।