भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पटाईलोजी / रूपसिंह राजपुरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रमकूड़ी जवान बणगी,
बाल कर'र डाई।
बोबी कट स्टाइल राखै,
घरै आवै नाई।
पटाईलोजी करैं छोरा।
मानै कोनी चेड़ भोरा।
भाभी बीनै कैण लागग्या,
जका कैंता ताई।