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पत्थर का वो शहर भी क्या था / नासिर काज़मी

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पत्थर का वो शहर भी क्या था
शहर के नीचे शहर बसा था

पेड़ भी पत्थर, फूल भी पत्थर
पत्ता पत्ता पत्थर का था

चांद भी पत्थर, झील भी पत्थर
पानी भी पत्थर लगता था।

लोग भी सारे पत्थर के थे
रंग भी उनका पत्थर-सा था

पत्थर का इक सांप सुनहरा
काले पत्थर से लिपटा था

पत्थर की अंधी गलियों में
मैं तुझे साथ लिए फिरता था

गूंगी वादी गूंज उठती थी
जब कोई पत्थर गिरता था।