भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पर्वत और मैदानों में / बलबीर सिंह 'रंग'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पर्वत और मैदानों में, खेतों और खलिहानों में,
अभी लड़ाई जारी है, सही लड़ाई जारी है।

नीची-नीची है ऊँचाई
ऊपर आ बैठी गहराई,
काँटो के घर हँसी खुशी है
फूलोंको आ रही रुलाई।

बागों और वीरानों में, आँसू और मुसकानों में,
अभी लड़ाई जारी है, सही लड़ाई जारी है।

चन्दा सूरज धुँधले-धुँधले
तम के परदे उजले-उजले
नया सबेरा लाने वाली
किरणों के रंग बदले-बदले।

रोगों और निदानों में, संतों और सयानों में,
अभी लड़ाई जारी है, सही लड़ाई जारी है।

आधी मदिरा आधा पानी
सारी दुनिया है दीवानी,
मदिरालय में कोलाहल है
साकी करता आनाकानी।

शीशा और पैमानों में, शमा और परवानों में,
अभी लड़ाई जारी है, सही लड़ाई जारी है।