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पहुँच इक मुस्ते खाकी की सितारों के जहाँ तक है / रमेश 'कँवल'

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पहुंच इक मुश्ते-खाकी1 की सितारों के जहां तक है
जुनूने-शौक़2 की शोहरत3 ज़मीं से आस्मां तक है

बना डाला मुहब्बत ने उन्हें रश्के-महो-अख़्तर
जहां हैरां है, इक ज़र्रे4 का शोहरा5 कहकशां6 तक है

भटकती फिर रही है बाग़ में बेआबरू होकर
फ़साना7 बर्क़8 का शायद मेरे ही आशियां9 तक है

फि़राक़े-यार में रह रह के यूं दिल पे गुजरता है
मज़ा जीने का दुनिया में बहारे-दोस्तां10 तक है

फ़क़त उड़ती हुर्इ खुशबू थीं वस्ले- यार की खुशियां
मगर इक शख़्स के ग़म की रिसार्इ जिस्मों-जां तक है

कोर्इ गुज़रा है यूं खुशबू लुटाता सहने-गुलशन11 से
कि खोया सा तसव्वुर12 में कंवल दौरे-ख़िज़ां तक है


1. मुट्ठी भर ज़मीन 2. प्रेमोन्माद 3. ख्याति , प्रसिद्धि 4. कण
 5. ख्याति, यश 6. आकाशगंगा 7. कथा -कहानी 8. बिजली
9.घोसला10. प्रिय के संग की खुशी 11. उपवन के निकट से 12. कल्पना