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पास-ए-अदब में जोश-ए-तमन्ना लिये हुए/ असग़र गोण्डवी

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पास-ए-अदब में जोश-ए-तमन्ना लिये हुए
मैं भी हूँ एक हुबाब में दरिया लिये हुए

रग-रग में और कुछ न रहा जुज़ ख़याल-ए-दोस्त
उस शोख़ को हूँ आज सरापा लिये हुए

सरमाया-ए-हयात है हिर्माने-ए-आशिक़ी
है साथ एक सूरत-ए-ज़ेबा लिये हुए

जोश-ए-जुनूँ में छूट गया आस्तान-ए-यार
रोते हैं मुँह में दामन-ए-सहरा लिये हुए

"असग़र" हुजूम-ए-दर्द-ए-ग़रीबी में उसकी याद
आई है इक तिलिस्मी तमन्ना लिये हुए