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पिया पावस पड़ै / ऋतुरंग / अमरेन्द्र

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पिया पावस पड़ै।
सुइया के नोकनी रङ खुचखुच गड़ै
पिया पावस पड़ै।

साँपे रङ ससरै छै सरसर ई पुरवा
सौंसे ठो आंगोॅ पर रही-रही चढ़ै
पिया पावस पड़ै।

ओलती सें टप-टप की चूबै छै बुन्नी
तोहरोॅ बिन लागै जों लुत्ती झड़ै
पिया पावस पड़ै।

हमरासें नै होल्हौं टाली-रखवारी
पहले टा पानी में अटिया सड़ै
पिया पावस पड़ै।

के रहतौं तोहरोॅ बिन लागै हवांके
मैयैं अटारी आ जोगतौ मड़ै
पिया पावस पड़ै।

-3.9.95