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पेट का दोज़ख़ भरना है / रोशन लाल 'रौशन'

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पेट का दिज़ भरना है
और हमें क्या करना है

जीना है डरते-डरते
डरते-डरते मरना है

चलना है अपने क़दमों
अपनी राह गुज़रना है

झूठ हमारा राज़िक है
सच से रोज़ मुकरना है

कश्ती में बैठे-बैठे
किसको पार उतरना है

डूब गए सब ख़्वाब मेरे
आँखें हैं या झरना है

मोती माणिक सब तेरे
गहरे और उतरना है